सुरक्षित नहीं हैं गैर मुस्लिम लड़कियां
पाकिस्तान में गैर मुस्लिम लड़कियों का जबरन अपहरण किया जाता है। जबरन उनका धर्म परिवर्तन कराया जाता है। इसके बाद जबर्दस्ती किसी मुसलमान से उसकी शादी करवा दी जाती है। यूनाइटेड स्टेट्स कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान प्रत्येक वर्ष एक हजार से ज्यादा लड़कियों का धर्म परिवर्तन कराया जाता है। उनको जबरन इस्लाम कबूलवाया जाता है। उनको अपहरण किया जाता है और जबरन शादी करवा दी जाती है। इनमें ज्यादातर हिंदू और क्रिश्चियन लड़कियां शामिल हैं।पाकिस्तान में धार्मिक आजादी को समझने के लिए पाकिस्तान के दूसरे प्रधानमंत्री ख्वाजा नजीमुद्दीन की उक्त पक्तियां ही काफी हैं। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि ‘मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि मजहब किसी व्यक्ति का निजी मामला है, न ही इस बात से राजी हूं कि एक इस्लामिक स्टेट में किसी व्यक्ति को समान हक मिलें, चाहे उसका धर्म, जाति या यकीन कुछ भी हो।’ ख्वाजा निजामुद्दीन, मोहम्मद अनी जिन्ना के समकालिन थे। आजादी के दौरान उन्होंने जिन्ना के साथ इस्लामिक स्टेट की मांग की थी। उनके इस बयान से पाकिस्तान में धार्मिक आजादी के मायने को आसानी से समझा जा सकता है। इससे इस बात का भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की क्या हालत होगी। उनकी क्या स्थिति होगी।
पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों पर हुए अत्याचार की दास्तां
पाकिस्तान में सिर्फ हिंदूओं को ही नहीं बल्कि सिखों के भी धार्मिक स्थलों को तोड़कर वहां दुकाने खोल दी गई। पाकिस्तान सरकार के एक ताजा सर्वे के मुताबिक वर्ष 2019 में सिंध में 11, पंजाब में 4, बलुचिस्तन में 3 और खैबर पख्तूनख्वाहा में 2 मंदिर ऐसे हैं, जहां पूजा-पाठ होता है।वर्ष 2019 में पाकिस्तान के सियालकोट में एक हजार वर्ष प्राचीन मंदिर को दोबारा खोला गया। यह मंदिर आजादी के बाद से ही बंद पड़ा था। 1992 में इसे भारी नुकसान पहुंचाया गया था। इस मंदिर के रेनोवेशन पर 50 लाख रुपये से ज्यादा खर्च हुए थे। इसी वर्ष पाकिस्तान की इमरान सरकार ने 400 मंदिरों को दोबारा खोलने का फैसला लिया था। इसके लिए सरकार की ओर से फंड भी मुहैया कराया जा रहा है।पाकिस्तान में एक प्रसिद्ध काली बाड़ी मंदिर था, अब वहां एक आलीशन होटल बन गया है। इसी तरह से खैबर पख्तूनख्वाहा के बन्नू जिले में एक मंदिर को तोड़कर मिठाई की दुकान खोल दी गई। कोहाट में एक शिव मंदिर में सरकारी स्कूल खोल दिया गया। रावलपिंडी में एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर को कम्युनिटी सेंटर में तब्दील कर दिया गया। चकवाल में 10 मंदिरों को तोड़कर कमर्शियल कॉम्पलेक्स बना दिया गया।इतना ही नहीं पाकिस्तान की हुकूमत ने अल्पसंख्यकों की पूजा वाले स्थलों की 1.35 लाख एकड़ भूमि को इवैक्यूई प्रॉपर्टी ट्रस्ट बोर्ड को लीज पर दिया हुआ है। इस ट्रस्ट का मुख्य दायित्व विस्थापितों की भूमि पर कब्जा करना है। खासकर ऐसे लोग जो पहले यहां रहते थे, लेकिन बाद में दूसरी जगह चले गए।
- ऑल इंडिया पाकिस्तान हिंदू राइट्स मूवमेंट ने पीछले वर्ष अपने एक सर्वे में कहा था कि 1947 में दोनों देशों के बीच बंटवारे के वक्त पाकिस्तान में 428 मंदिर थे, लेकिन 1990 के दशक तक 408 मंदिरों के अस्तित्व समाप्त हो चुके हैं। यानी आजादी के बाद से पाकिस्तान में उस वक्त के महज 20 मंदिर ही शेष बचे हैं। अब इन मंदिरों के स्थान पर दुकानें, रेस्टोरेंट, होटल, सरकारी स्कूल या मदरसे खुल गए हैं।
- कृष्ण मंदिर को कट्टरपंथियों ने ध्वस्त किया इमरान सरकार
पिछले वर्ष पाकिस्तान की इमरान सरकार ने राजधानी इस्लामाबाद में एक कृष्ण मंदिर बनाने की मंजूरी दी थी। इमरान सरकार ने इसके लिए 10 करोड़ रुपये भी दिए थे। मंदिर के लिए 20 हजार वर्ग फुट जमीन भी मुहैया कराई। यह इस्लामाबाद का पहला हिंदू मंदिर होता, लेकिन यह निर्माण के पहले ही कट्टरपंथियों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया। इसकी दीवार को ढहा दिया गया। कट्टपंथियों के दबाव में आकर मंदिर निर्माण पर रोक लग गई।