अपनी प्रेस कांफ्रेंस में अफगान राष्ट्रपति का नाम भूले बाइडन
वाशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन व्हाइट हाउस में होने वाली प्रेस वार्ता के दौरान अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी का नाम भूल गए और उनकी जगह पाकिस्तान आर्मी के पूर्व जनरल अशरफ परवेज कयानी का नाम ले बैठे। ये सब कुछ उनकी उस पहली प्रेस वार्ता के दौरान हुआ जिसमें सीधे वो पत्रकारों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने अफगानिस्तान के मसले पर पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि अमेरिका के रक्षा मंत्री जनरल लॉयड ऑस्टिन हाल ही में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति कयानी से मिले हैं। वो काबुल में अफगानिस्तान के लीडर है। उन्होंने ये भी कहा कि अब वो इस बारे में ऑस्टिन द्वारा उन्हें ब्रीफ किए जाने का इंतजार कर रहे हैं।
रूसी अखबार स्पूतनिक की खबर के मुताबिक अफगानिस्तान के राष्ट्रपति का नाम भूल जाने और कयानी को अफगानिस्तान का नेता बताए जाने पर सोशल मीडिया में राष्ट्रपति बाइडन का काफी मजाक उड़ाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर कुछ तो ये भी कह रहे हैं कि अब कयानी को बाइडन के फोन का बेसर्बी से से इंतजार होगा। आपको बता दें कि नवंबर 2007 से नवंबर 2013 तक कयानी पाकिस्तान आर्मी के जनरल रह चुके हैं। उन्हें पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल परवेज मुशर्रफ ने इस पद पर बिठाया था। जनरल के तौर पर उनका कार्यकाल तीन बार बढ़ाया गया था। वर्ष 2011 और 2012 में उनका नाम फोर्ब्स मैग्जीन ने विश्व के 100 सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों में शामिल था।
आपको बता दें कि जिस वक्त बाइडन ने राष्ट्रपति अशरफ गनी की जगह कयानी का नाम लिया तो उसके बाद किसी ने उनकी इस गलती पर उन्हें तत्काल टोकने की जरूरत महसूस नहीं की। सोशल मीडिया पर बाइडन के इस बयान की दो मिनट की क्लिपींग को काफी शेयर किया जा रहा है। इस प्रेस कांफ्रेंस में बाइडन ने इस बात पर आशंका जताई है कि अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी जवानों की वापसी शायद ही 1 मई तक हो सके।
उन्होंने कहा कि हो सकता है जवानों की वापसी की समय सीमा इस वर्ष के अंत तक बढ़ जाए। हालांकि उन्होंने ये साफ कर दिया कि अगले वर्ष तक कोई अमेरिकी जवान अफगानिस्तान में नहीं होगा। उन्होंने ये भी कहा कि अब हम अफगानिस्तान में ज्यादा लंबे समय तक नहीं रुकने वाले हैं। इस बारे में उन्होंने नाटो के सदस्य देशों से और दूसरे देशों की सरकारों से बात की है।
आपको बता दें कि अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड आस्टिन कुछ दिन पहले भारत के दौरे पर आए थे। यहां से वापसी में वो अचानक अफगानिस्तान चले गए थे। वहां पर उन्होंने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से मुलाकात की थी। उनका अफगानिस्तान का ये दौरा काफी खुफिया था और इसके बारे में किसी को कुछ पता नहीं था।
यहां पर ये भी ध्यान मेंरखना होगा कि अफगानिस्तान में शांति कायम करने को लेकर अमेरिका और तालिबान के बीच फरवरी 2020 में एक समझौता हुआ था। हालांकि इसमें अमेरिका ने तालिबान से हमलों पर रोक लगाने को भी कहा था। इसके बाद भी अफगानिस्तान में सरकारी दफ्तरों और सेना पर हमले बादस्तूर जारी हैं। 13 मार्च को हेरात में एक बड़े हमले को अंजाम दिया था। इसमें 22 लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि तालिबान ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली थी। वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रपति अशरफ गनी ने इसके लिए तालिबान को ही जिम्मेदार ठहराया था।