गणपति पंडाल में 36 हजार महिलाओं का उपनिषद पाठ,रूस और थाईलैंड से आए श्रद्धालु भी शामिल हुए

महाराष्ट्र में पुणे के प्रसिद्ध दगडूसेठ गणपति पंडाल में बुधवार को 36 हजार महिलाएं जुटीं। इस दौरान उन्होंने ‘अथर्वशीर्ष’ का पाठ किया। ‘अथर्वशीर्ष’, संस्कृत में रचित एक लघु उपनिषद है, जो ज्ञान और बुद्धि के देवता भगवान श्री गणेश को समर्पित है। ये गणेश उत्सव में अथर्वशीर्ष के वार्षिक पाठ का 36वां साल है। पंडाल में रूस और थाईलैंड से आए श्रद्धालु भी शामिल हुए।
19 सितंबर से गणेश उत्सव शुरू हुआ। पुराने समय में भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी पर भगवान गणेश प्रकट हुए थे। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी (28 सितंबर) तक मनाया जाता है। इन दस दिनों में प्रथम पूज्य गणपति की विशेष पूजा की जाती है। गणेश जी और उनकी पूजा से जुड़ी कई प्राचीन परंपराएं हैं, जिनका पालन आज भी किया जाता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा से सवाल-जवाब में जानिए गणेश जी से जुड़ी कुछ खास परंपराएं और उनसे जुड़ी कथाएं…
सवाल – गणेश जी का वाहन मूषक (चूहा) कैसे बना?
जवाब – एक असुर ने मूषक यानी चूहा बनकर पाराशर ऋषि के आश्रम को बर्बाद कर दिया था। ऋषियों की रक्षा के लिए गणेश जी प्रकट हुए और उन्होंने अपना पाश फेंककर मूषक को बंदी बना लिया। मूषक भगवान से तर्क-वितर्क करने लगा और बोला कि आप मुझसे कोई वर मांग लो। तब गणेश जी इस बात पर हंसे और कहा कि तू मुझे कुछ देना चाहता है तो मेरा वाहन बन जा। मूषक इसके लिए राजी हो गया। गणेश जी ने अपना भार मूषक के अनुसार कर लिया और उस पर सवार हो गए।
सवाल – गणेश जी प्रथम पूज्य कैसे बने?
जवाब – एक दिन कार्तिकेय स्वामी और गणेश जी के बीच शर्त लगी कि कौन सबसे पहले संसार का चक्कर लगाकर आएगा। कार्तिकेय स्वामी तो तुरंत ही अपने मोर पर बैठकर उड़ गए, लेकिन गणेश जी का वाहन चूहा धीरे-धीरे चल रहा था। गणेश जी ने शिव-पार्वती की परिक्रमा कर ली और कहा कि मेरे माता-पिता ही मेरा संसार है। गणेश जी की इस बात से शिव जी प्रसन्न हो गए और उन्हें प्रथम पूज्य होने का वरदान दे दिया।
सवाल – गणेश जी को क्यों प्रिय है मोदक और लड्डू?
जवाब – मान्यता है कि देवी पार्वती गणेश जी को लड्डू खिलाती थीं, इस वजह से भगवान को लड्डू खासतौर पर चढ़ाते हैं। एक अन्य कथा के मुताबिक एक दिन माता अनुसूइया ने गणेश जी को अपने यहां भोजन के लिए बुलाया। गणेश जी ने बहुत सारा खाना खाया, लेकिन उनका पेट नहीं भरा। तब अनुसूइया ने गणेश जी को मोदक खिलाए। मोदक खाते ही गणेश जी तृप्त हो गए। इन दो कथाओं की वजह से गणेश जी को मोदक और लड्डू चढ़ाते हैं।