शिवराज सरकार ओंकारेश्वर में बनाएगी दुनिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट, 600 मेगावाट बिजली होगी पैदा
सरकार द्वारा 600 मेगावाट की परियोजना के प्रथम चरण में 278 मेगावाट क्षमता के अनुबंध पर हस्ताक्षर किया गया। इस योजना के तहत नर्मदा नदी के बैक वाटर पर औसतन 2 हजार हेक्टेयर में सोलर पैनल्स लगाई जाएगी। योजना से संबंधित अधिकारियों का कहना है कि यह सोलर पावर प्लांट दुनिया का सबसे बड़ा तैरता सोलर प्लांट बनेगा। इस परियोजना का अनुमानित खर्च करीब 3000 हजार करोड़ रुपए है। यह सोलर पावर प्लांट नर्मदा में ओंकारेश्वर बांध पर बनेगा।
अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि नर्मदा जी की कृपा सदैव प्रदेश में बरस रही है। यह सोलर पावर प्लांट अपने आप में अद्भुत है। उन्होंने जानकारी दी कि हम पानी के सतह पर सोलर पैनल बिछाएंगे। ओंकारेश्वर में दुनियां का सबसे बड़ा सोलर पॉवर प्लांट बनेगा। उन्होंने कहा कि अब हमें धरती मां का कर्ज पूरा करना है। बिजली बचाना बिजली बनाने से ज्यादा जरूरी है। अगर बिजली का अनावश्यक प्रयोग ना हो तो 4 हजार करोड़ की बिजली बच सकती है।
केवल भाषण से काम नहीं चलेगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि केवल भाषण से काम नहीं होगा। खुद करोगे, तो दूसरों से कहने का अधिकार है। इसलिए मैं अपने बाथरूम और कमरे की बिजली अनावश्यक नहीं जलने देता। पर्याप्त रोशनी है, तो क्यों जलाऊं। किसी और के आने का इंतजार नहीं करता। सीएम हाउस में लड़ाई-झगड़ा करता हूं तो सिर्फ इसलिए कि बगैर जरूरत के बिजली क्यों जल रही है। कई बार धारणा होती है कि सरकारी है जलने दो पर उत्पादन पर खर्च राशि तो आपकी कमाई के टैक्स से ही आती है।
शिवराज ने कहा कि मध्य प्रदेश को हार्ट आफ इंडिया कहा जाता है। लेकिन मेरा सपना मध्य प्रदेश को लंग्स आॅफ इंडिया बनाना है। मैं सभी सोलर एनर्जी बनाने वाले को आमंत्रित करता हूं कि वो यहां इन्वेस्ट करें। सीएम ने कहा कि भोपाल को लगभग 124 दिन जितने पीने की पानी की जरूरत होती है। उतना पानी इस योजना से बचेगा। 2027 तक प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा की क्षमता बढ़ाकर 20 हजार मेगावाट कर दी जाएगी। हमारे यहां कई किसानों ने खेती में सोलर प्लांट लगाने का फैसला किया है। उन्होंने निर्देश दिए है कि सरकारी दफ्तरों में भी सोलर पैनल बिछनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा …
- स्कूलों में बच्चों को बिजली का दुरुपयोग रोकने के लिए ट्रेंड करेंगे कि बिजली की बचत के लिए माता-पिता से लड़ पड़ें।
- सौर ऊर्जा से बिजली की जरूरत पूरी कर 12 लाख टन कार्बन डाइआक्साइट को बनने से रोका जा सकता है, जो एक करोड़ 92 लाख पेड़ लगाने के बराबर है।
- सोलर पावर संयंत्र के लिए चंबल के बीहड़ों का उपयोग करेंगे। ऐसी नीति बनाने को कहा है जिससे निवेशकों को सस्ती भूमि मिल जाए।
- सभी सरकारी कार्यालयों की छतों पर सोलर पैनल लगाएं।
- सोलर ऊर्जा के निवेशकों को मप्र की धरती पर आमंत्रित कर रहा हूं।
- धरती को मां मानकर कर्ज उतारने का समय आ गया।
- बिजली बचाना, बिजली बनाने से ज्यादा उपयोगी।
- सूरज और हवा से ही बिजली बनाने का प्रयास करेंगे और बिजली बचाएंगे भी।
- चार हजार करोड़ रुपये की बिजली बचा सकते हैं। इस राशि का कोई और उपयोग कर सकते हैं।
थर्मल पावर, हाइडल-सोलर पावर वाला जिला होगा खंडवा
अक्षय ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव संजय दुबे ने को बताया कि हम जलविद्युत परियोजना के तहत पानी से बिजली पैदा करते हैं। यह लगभग 100 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यह एक बहुत बड़ा जल निकाय है, जहां जल स्तर सामान्य रहता है। हमारे पास 300 मेगावाट का पीपीए होगा। दुबे ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि नए फ्लोटिंग सोलर प्लांट के साथ खंडवा मध्य प्रदेश का एकमात्र जिला बन जाएगा, जिसके पास थर्मल पावर स्टेशन, हाइडल और सोलर पावर होगा।