भारत की दावेदारी का किया था विरोध ट्रंप ने उस शख्स को बनाया NSA जिसने UNSC की स्थायी सदस्यता की
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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अपने अबतक के 14 महीने के कार्यकाल में तीसरे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) की नियुक्ति कर चुके हैं। NSA के लिए उनकी नई पसंद ने दुनियाभर को चौंकाया और डराया है। इसकी बेहतरीन बानगी स्वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री कार्ल बिल की प्रतिक्रिया है। ट्रंप ने ट्विटर पर एच. आर. मैकमास्टर की जगह नए NSA के नाम का ऐलान किया जिनकी पहचान एक युद्धोन्मादी शख्स की रही है। उसके कुछ ही घंटे के भीतर उसी मंच यानी ट्विटर पर बिल ने लिखा, ‘बोल्टन? रियली? बंकर कहां है?’
कुछ दक्षिणपंथी अतिवादी मीडिया समूहों को छोड़कर नए अमेरिकी NSA को लेकर दुनिया भर में बनने वाली समाचारों की सुर्खियां हताशा और निराशा से भरी हुई थीं। न्यू यॉर्क टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा, ‘हां, जॉन बोल्टन वास्तव में खतरनाक हैं।’ NYT ने आगे लिखा, ‘मिस्टर बोल्टन देश को युद्ध में झोंक देंगे। ट्रंप की यह पंसद उनके पिछले कई फैसलों की तरह ही खतरनाक है।’
वॉशिंगटन पोस्ट में भी NSA के लिए ट्रंप की पंसद को लेकर कई आलोचनाओं भरी टिप्पणियां दिखीं। इनमें से एक की हेडलाइन थी, ‘वाइट हाउस में एक और कट्टरपंथी।’
बोल्टन अपने कट्टरपंथी विचारों के लिए जाने जाते हैं और वह सैन्य ताकत के हिमायती रहे हैं। उन्होंने ईरान का जमकर विरोध किया और वह नॉर्थ कोरिया को दंडित करने के लिए उसपर हमले के पक्षधर रहे हैं। यहां तक कि भारत के बारे में भी उनके खयालात ठीक नहीं हैं और वह उसे शंका की नजर से देखते हैं।
राष्ट्रपति बुश के कार्यकाल के दौरान जब बोल्टन संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के राजदूत थे तो उन्होंने चीन के साथ मिलकर भारत को झटका दिया था। भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए प्रयासरत था लेकिन वह बोल्टन ही थे जिन्होंने अपने चीनी समकक्ष के साथ मिलकर भारत के प्रयासों को पलीता लगाया था।
युद्ध के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले की छवि के चलते बोल्टन कितने दिन तक वाइट हाउस में टिके रहते हैं, यह देखने की बात होगी। दरअसल कुछ मुद्दों पर बोल्टन और डॉनल्ड ट्रंप की राय एक दूसरे से बिलकुल उलट है। उदाहरण के तौर पर- वह रूस को लेकर आक्रामक हैं लेकिन ट्रंप मॉस्को के प्रति रक्षात्मक हैं। इसके अलावा वह मुक्त व्यापार के हिमायती हैं तो ट्रंप इसके खिलाफ।