ओडिशा ट्रेन हादसा- अंधेरे में अपनों के टुकड़े तलाशते रहे
:चश्मदीद बोले- कहीं किसी का हाथ पड़ा था तो कहीं पैर; कई डिब्बों में फंसे थे
भुवनेश्वर
ओडिशा सरकार ने हादसे में घायल हुए सभी लोगों के इलाज का खर्च उठाने का ऐलान किया है।
ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम करीब 7 बजे हुआ ट्रेन हादसा इतना भयानक था कि कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन के कई कोच तबाह हो गए। एक इंजन तो मालगाड़ी के रैक पर ही चढ़ गया। टक्कर इतनी भीषण थी कि खिड़कियों के कांच टूट गए और करीब 50 लोग बाहर जाकर गिरे
अंधेरा होने के कारण रोते-बिलखते लोग अपनों को तलाशते रहे। कुछ को धड़ मिला, तो सिर नहीं। लोग चीखते हुए अपनों के टुकड़े बटोरते दिखे। हालात ऐसे थे कि बोगियों में फंसे बच्चों और महिलाओं को कोच से बाहर निकालने के लिए सीढ़ी का सहारा लेना पड़ा। ट्रेन में फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने के स्थानीय लोग भी देर रात तक जी-जान से जुटे दिखे। अस्पताल में भी घायलों की मदद के लिए कई लोग खड़े थे।
इस हादसे में अब तक 288 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 900 से ज्यादा लोग घायल हैं। ऐसे में मरने वालों का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। एक्सीडेंट में घायल हुए लोगों ने इस हादसे का जो आंखों-देखा हाल बताया, उससे समझा जा सकता है कि हादसा कितना भयावह था।
पहले मोशन ग्राफिक्स के जरिए समझिए हादसा कैसे हुआ…
पढ़िए तीन पैसेंजरों की जुबानी इस हादसे की कहानी…
1. ऊपर वाली सीट पर पंखा पकड़कर बैठा रहा, फिर दूसरों की मदद की
एक पैसेंजर ने बताया कि हम S5 बोगी में थे और जिस समय हादसा हुआ उस उस समय मैं सोया हुआ था। तेज आवाज से मेरी नींद खुली। मैंने देखा कि ट्रेन पलट गई है। मेरी सीट ऊपर वाली थी, मैं वहां पंखा पकड़ कर बैठा रहा। ट्रेन में भगदड़ मच गई थी। लोग बचाओ-बचाओ